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मेरी वर्तमान समस्यायें

इस नश्वर संसार में समस्याओं की कभी कोई कमी रही है, क्या?

हर इंसान का जीवन सुख और दुख के बीच झूलता रहता है।  सुख तो भोगने की चीज है। इसलिए, सुख के कारण पर चिंतन करने की ज़रूरत शायद ही किसी ने ज़रूरी समझी होगी। मैंने भी कभी अपने सुख ओर सवाल नहीं किए हैं। मैं भी अपने दुख को लेकर ही चिंतित रहता हूँ। भारतीय दर्शन के अनुसार हमारे दुखों के तीन मुख्य स्रोत हैं - आध्यात्मिक, आधिभौतिक और आधिदैविक! 

हर प्रकार के दुख के साथ कोई ना कोई समस्या तो जुड़ी ही रहती है। मेरी माँ कहा करती है कि समाधान चिंता से नहीं, अपितु चिंतन से मिलता है। समय के साथ मैंने अपनी समस्याओं को समझने की कोशिश कि है। मेरे पास भी आप ही की तरह कई समस्यायें हैं। शायद कुछ ज़्यादा ही हों, आख़िर मैं ख़ुद को एक दार्शनिक भी तो मानता हूँ। आपकी समस्याओं पर भी चिंतन करना ही तो मेरा रोज़गार है। एक ईमानदार दार्शनिक यही तो करता है। इसलिए मैंने अपनी समस्याओं को वर्गीकृत करने का निश्चय किया है। कुल आठ वर्गों के अन्तर्गत मैं अपनी समस्याओं का उल्लेख करूँगा।

मेरी वर्तमान समस्याओं का वर्गीकरण   

  • व्यक्तिगत समस्यायें 
  • मनोवैज्ञानिक समस्यायें
  • आर्थिक समस्यायें
  • पारिवारिक समस्यायें
  • सामाजिक समस्यायें 
  • राजनैतिक समस्यायें
  • धार्मिक समस्यायें
  • दार्शनिक समस्यायें
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