विज्ञान भी मानता है कि हमारा शरीर उन्हें पाँच तत्वों को मानता है, जिसे भारतीय दर्शन में पंचमहाभूत माना गया है - आकाश (Space) , वायु (Quark), अग्नि (Energy), जल (Force) तथा पृथ्वी (Matter)। रट्टा मारकर इन बच्चों का क्या भला हो जाएगा? किसी तरह यह बच्चे प्रधानमंत्री या न्यायाधीश भी बन गये तो जीवन के ख़िलाफ़ ही अपना फ़ैसला सुनायेंगे। जीवन को समझकर ही तो मेरे बच्चे समाज में अपना योगदान दे पायेंगे। वरना मेरी ही तरह वे भी नालायक ही रह जाएँगे। वे किसान बनेंगे या कलेक्टर यह तो वे ही तय करेंगे। मेरा मक़सद तो उन्हें अधिकतम आजीविका और पहचान को नकारने का अवसर देना है, जैसा चाहे-अनचाहे मुझे मेरे माता-पिता ने दिया है, या समाज से मैंने छीनकर लिया है। शिक्षा-व्यवस्था को भी कुछ ऐसे ही मौक़े के चुनाव को ज्ञान-पूर्ण तरीक़े से हर छात्र को देना चाहिए। पर इसमें खर्च लगेगा, सुना है लोक राजा है, और राजा के पास किस बात की कमी है? अच्छी शिक्षा मिलेगी, तभी तो ये बच्चे ईमानदारी से ख़ुद को पहचानकर सृजनात्मक और रचनात्मक ढंग से समाज में अपना योगदान दे पायेंगे। यह मेरी पारिवारिक समस्या भी है, जहां से मेरी सामाजिक समस्या भी शुरू होती है।