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Push A Little

Usually things fall to grounds,

The fallen becomes nothing but dust,

To preserve them, you need to

Push a little.

 

Usually the appearances fades away,

Beauty die with ages,

To maintain the charm, makeup every moment,

थोड़ा ज़ोर लगाना पड़ता है

अमूमन चीज़ें गिर जाती हैं,

गिर धरत्ती पर मिट जाती हैं,

उपर थामे रखने को,

हर पल ज़ोर लगाना पड़ता है

 

अमूमन सूरत ढल जाती है,

ढल उमर संग मर जाती है,

सुंदरता कायम रखने को,

हर पल सृंगर रचाना पड़ता है

I am Time

I think, when life will be on waning ends,

When death will try to lure me,

What those words would be,

That summarises this life-story.

 

What will be the story?

Immaculate childhood or a thoughtless youth,

Or a dejected, sad, pathetic life,

सूरज, गुलाब और हवा

यूँ डुबकर किसी दिन,

ना हम सूरज कहलाएँगे,

हम फिर उगकर आयेंगे,

और तब सूरज कहलाएँगे।

 

यूँ मुरझाकर इक रोज़,

ना हम गुलाब कहलाएँगे,

हम जब जब ख़ुशबू फैलाएँगे,

हम तब तब गुलाब कहलाएँगे।

 

यूँ बहते हुए हर पल भी,

ना हम हवा कहलाएँगे,

हम जब जीवन दे पायेंगे,

हम तब हवा कहलाएँगे।

 

एक दिन उगेगा सूरज भी,

उस दिन गुलाब भी खिलेगा,

वक़्त हूँ मैं

सोचता हूँ जिंदगी की जब शाम आएगी,

मौत जब द्वार खड़े पास बुलाएग,

तो वे कौन शब्द होंगे जुबां पर,

जो इस कहानी के सारांश होंगे।

 

क्या होगी कहानी ?

बेबाक बचपन, अल्हड़ जवानी,

या सहमा जीवन, निशब्द ज़िंदगानी,

Sun, Rose and Wind

Setting on horizons,

We won’t be sun,

When we rise back again,

Then, shall we be called Sun.

 

Withered like this one day,

Nor shall we be called roses,

Whenever we will spread fragrance,

Then, shall we be called roses.

क़िस्मत

क़िस्मत या तो किसी तानाशाह की तरह होती है,

जो बेवजह ही हुकुम चला रहा है,

या किसी ज़िद्दी बच्चे की तरह,

जो अपने पिता से उड़ने की ज़िद्द कर रहा है,

या किसी प्रेमिका की तरह,

जो चाँद-तारे माँग रही है।

 

अरे! मानना ही है तो तुम क़िस्मत को ऐसे मानो,

की क़िस्मत तुम्हारी ग़ुलाम है,

बेहतर होगा

जिस समाज में

एक,

विद्यार्थी, विद्या से,

नौकर, अपनी नौकरी से,

मरीज़, डॉक्टर से,

शरीफ, पुलिस से,

बेक़सूर, अदालत से,

वोटर, नेता से,

ईमानदार, पूरे सिस्टम से,

डरता है।

 

जहां हर कोई भगवान से डरता हो,

नशा

वो काम अधूरा रह गया,

जिसे पूरा करने का वक़्त नहीं मिला।

 

वो काम बेहद ज़रूरी होगा,

क्योंकि समय से ज़्यादा, 

उसे साँसों की ज़रूरत थी।

 

वो काम था, जिसमें मन कभी नहीं लगता,

उसका नाम मात्र ही काफ़ी है,

मन-तन-बदन में दर्द उठाने को,