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अमूमन चीज़ें गिर जाती हैं,
गिर धरत्ती पर मिट जाती हैं,
उपर थामे रखने को,
हर पल ज़ोर लगाना पड़ता है
अमूमन सूरत ढल जाती है,
ढल उमर संग मर जाती है,
सुंदरता कायम रखने को,
हर पल सृंगर रचाना पड़ता है
थोड़ा ज़ोर लगाना पड़ता है।
अमूमन जमीर झुक जाता है,
झुक गर्दिश में मिल जाता है,
ईमान बचाए रखने को,
हर पल संघर्ष निभाना पड़ता है
थोड़ा ज़ोर लगाना पड़ता है।
अमूमन सूरज छिप जाता है,
छिप क्षितिज से रीझ जाता है,
ज्योत जलाए रखने को,
हर घर दीप जलना पड़ता है
थोड़ा ज़ोर लगाना पड़ता है।
अमूमन रिश्ते टूट जाते हैं,
टूट वक़्त में खो जाते हैं,
प्रीत बचाए रखने को,
हर पल स्नेह जताना पड़ता है
थोड़ा ज़ोर लगाना पड़ता है।
खुद को सम्बल देना होगा,
खुद को उपर रखना होगा,
खुद से है खुदा की लड़ाई,
खुद ही जीत का रस चखना होगा।