मनचले
कान और कंधे के बीच फ़ोन चिपकाए, सुरेशवा अपना मोटरसाइकिल ४० के स्पीड पर बिना हेलमेट चला जा रहा था। अचानक एक टेम्पो वाला साइड काटा, काहे की एक ठो पैसेंजर चिलाया - “रोको बे! अब का अपने घर ले के जावेगा!” पीछे से सुरेशवा ठुकते-ठुकते बचा। फ़ोन नीचे गिर गया था। स्मार्ट फ़ोन था, सुरेशवा का कलेजा धक से रह गया। बाइक छोड़ फ़ोन पर लपका। उसके पीछे से दु ठो हवलदार जो अभी तक बतियाते हुए आ रहे थे। दौड़ कर घटना स्थल पर पहुँचे। सुरेशवा फ़ोन उठा कर देख रहा था कहीं स्क्रीन फुट तो नहीं गया? पुलिस देख कर सोचा बाइक उठाने आ रहे होंगे। मदद करेंगे। दुनों आये, बाइकवा उठाया। सुरेशवा के मन में विचार आया कि धन्यवाद ज्ञापन कर दे। सो, गया और बोला - “धन्यवाद!”