पब्लिक पालिका की कल्पना को जीवर्थशास्त्र और इहलोकतंत्र के बिना नहीं समझा जा सकता है। व्यक्ति की जरूरतों और व्यक्तित्व की समृद्धि के लिए जीवर्थशास्त्र में नौ आयामों की चर्चा मिलेगी, जिसे तीन खंडों में समझा जा सकता है — आवश्यक त्रय, अस्तित्वगत त्रय, और शाश्वत त्रय। आवश्यक त्रय में खाना, संभोग और खतरा शामिल है। अस्तित्वगत जरूरतों में शरीर, आत्मा और चेतना की बातें हैं, और शाश्वत त्रय में ईश्वर, सत्य और जीवन को जगह दी गई है। एक लोकहित कल्याणकारी राज्य की जिम्मेदारी बनती है कि उसके निवासियों की बुनियादी जरूरतों की आपूर्ति पर सक्रिय जवाबदेही निभायी जाए।