पब्लिक पालिका: व्यक्ति से विश्व तक
पब्लिक पालिका की कल्पना को जीवर्थशास्त्र और इहलोकतंत्र के बिना नहीं समझा जा सकता है। व्यक्ति की जरूरतों और व्यक्तित्व की समृद्धि के लिए जीवर्थशास्त्र में नौ आयामों की चर्चा मिलेगी, जिसे तीन खंडों में समझा जा सकता है — आवश्यक त्रय, अस्तित्वगत त्रय, और शाश्वत त्रय। आवश्यक त्रय में खाना, संभोग और खतरा शामिल है। अस्तित्वगत जरूरतों में शरीर, आत्मा और चेतना की बातें हैं, और शाश्वत त्रय में ईश्वर, सत्य और जीवन को जगह दी गई है। एक लोकहित कल्याणकारी राज्य की जिम्मेदारी बनती है कि उसके निवासियों की बुनियादी जरूरतों की आपूर्ति पर सक्रिय जवाबदेही निभायी जाए।
एक आर्थिक समाधान: पब्लिक पालिका
पब्लिक पालिका का बजट
Need I say more?
हिंदू राष्ट्र बनाम पब्लिक पालिका
केंद्र नहीं, गाँव-घर बचाइए!
केंद्र ख़तरे में है ॰॰॰
हर समस्या की जड़ आस्था के केंद्र में निहित है। आस्था तो हर समस्या का समाधान है। तभी तो हर समस्या की जड़ आस्था का केंद्र बन जाता है।
पिछले साल के लोकसभा के चुनाव से लेकर आज तक की ख़बरों पर मैंने अपना शोध किया है। कुछ तथ्यों के आधार पर मैं अपने कथन को स्थापित करने की कोशिश करूँगा। कालक्रम में एक एक कदम पीछे चलते राजनीति की ऐतिहासिक गली में चलिए टहलकर आते हैं। कदम अगर लड़खड़ाये तो सहारे की उम्मीद रखता हूँ। आज ८ फ़रवरी, २०२५ को दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी। आज सुबह ही मुझे एक ख्याल आया था कि अगर आज बीजेपी की सरकार दिल्ली में बनी तो केंद्र ख़तरे में आ जाएगा। ऐसा मुझे क्यों लगा इसके पीछे
टूटते घर, बनते मकान!
गाँव बचाओ अभियान
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