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बहुत हुआ लोकतंत्र, अब लोगतंत्र की बारी!

जब रविश कुमार ने अपने विशेष संवाद में बंगाल में फैल रही धार्मिक हिंसा को केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित राजनीतिक अस्थिरता बताया, तो उस रिपोर्ट का अंतिम वाक्य — "सत्यानाश आ रहा है, इसे कोई नहीं रोक सकता।" — किसी शास्त्रीय त्रासदी की तरह गूंजता रहा। उसी क्षण, उस मौन में, एक आवाज उठी — "मैं रोकेगा, कोई मेरी बात सुन तो लो।"

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