पब्लिक पालिका: व्यक्ति से विश्व तक
पब्लिक पालिका की कल्पना को जीवर्थशास्त्र और इहलोकतंत्र के बिना नहीं समझा जा सकता है। व्यक्ति की जरूरतों और व्यक्तित्व की समृद्धि के लिए जीवर्थशास्त्र में नौ आयामों की चर्चा मिलेगी, जिसे तीन खंडों में समझा जा सकता है — आवश्यक त्रय, अस्तित्वगत त्रय, और शाश्वत त्रय। आवश्यक त्रय में खाना, संभोग और खतरा शामिल है। अस्तित्वगत जरूरतों में शरीर, आत्मा और चेतना की बातें हैं, और शाश्वत त्रय में ईश्वर, सत्य और जीवन को जगह दी गई है। एक लोकहित कल्याणकारी राज्य की जिम्मेदारी बनती है कि उसके निवासियों की बुनियादी जरूरतों की आपूर्ति पर सक्रिय जवाबदेही निभायी जाए।
एक आर्थिक समाधान: पब्लिक पालिका
15 February, 2025
आज सुबह पहली मुलाक़ात रवीश कुमार से हुई। अरसा हो गया जब कोई तार्किक व्यवहारिक प्राणी मुझे व्यक्तिगत जीवन में मिला हो। खैर, रवीश जी रघुवीर सहाय के डायरी के पन्नों को पढ़कर हाल की में हुए दिल्ली चुनाव की व्याख्या करने की कोशिश कर रहे थे। सुनकर बहुत बुरा लगा कि १९६२ में हुए दिल्ली चुनाव में भी हम, भारत के लोगों को राजनीति वैसे ही हाँक रही थी, जैसे आज चरा रही है। थोड़ा आगे बढ़ा तो राहुल गांधीजी से मुलाकात हुई। वे ड्रोन लिए युद्ध की रणनीति समझते मिले। मुझे लगा आज जब ज्ञान विज्ञान इतना आगे बढ़ चुका है, तब भी लोक और तंत्र दोनों युद्ध के लिए इतना आतुर क्यों हैं?
पब्लिक पालिका का बजट
Need I say more?
हिंदू राष्ट्र बनाम पब्लिक पालिका
केंद्र नहीं, गाँव-घर बचाइए!
केंद्र ख़तरे में है ॰॰॰
हर समस्या की जड़ आस्था के केंद्र में निहित है। आस्था तो हर समस्या का समाधान है। तभी तो हर समस्या की जड़ आस्था का केंद्र बन जाता है।
पिछले साल के लोकसभा के चुनाव से लेकर आज तक की ख़बरों पर मैंने अपना शोध किया है। कुछ तथ्यों के आधार पर मैं अपने कथन को स्थापित करने की कोशिश करूँगा। कालक्रम में एक एक कदम पीछे चलते राजनीति की ऐतिहासिक गली में चलिए टहलकर आते हैं। कदम अगर लड़खड़ाये तो सहारे की उम्मीद रखता हूँ। आज ८ फ़रवरी, २०२५ को दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी। आज सुबह ही मुझे एक ख्याल आया था कि अगर आज बीजेपी की सरकार दिल्ली में बनी तो केंद्र ख़तरे में आ जाएगा। ऐसा मुझे क्यों लगा इसके पीछे
टूटते घर, बनते मकान!
गाँव बचाओ अभियान
Pagination
- Page 1
- Next page
Podcasts
Pagination
- Page 1
- Next page