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Age of Mental Immortality

Age of Mental Immortality

The Age of Mental Immortality: Resurrecting Great Minds through AI

In the digital age, technology has offered us unprecedented ways to preserve knowledge.

सत्यार्थ यात्रा: एक संक्षिप्त परिचय

सत्यार्थ यात्रा
यह चर्चा एक नई यात्रा के प्रारंभ के बारे में है, जिसे "सत्यार्थ यात्रा" नाम दिया गया है। यह यात्रा एक व्यक्ति की आंतरिक और बाहरी दुनिया को फिर से खोजने, और समाज के मौजूदा आर्थिक, सामाजिक, और राजनीतिक परिदृश्य को नए सिरे से समझने की एक महत्त्वाकांक्षी पहल है। इस यात्रा का उद्देश्य न केवल स्वयं का उत्थान करना है, बल्कि समाज और राष्ट्र के भविष्य के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण स्थापित करना भी है।

Let's Break Free!!!

Let's Break Free!!!

I have been troubled with social, political, economic factors that has been degrading the life of We, the People of India. I found that individuals in their respective familial settings, along with personal experiences & dynamics are too tormented to remain sane, particularly the youth of the country.

Public Trusteeship

Public Trusteeship
अगर सिस्टम ख़राब है, तो सिस्टम ही बदल दो! The time has come for public ownership, local investment, and an economy that is by the people, for the people. In this vision of Public Palika, we compete to innovate, but also cooperate to complete the nation we build together, under a constitution that ensures equity. It is not just an economic revolution but a democratic revival, where local and national systems work together to empower citizens, build communities, and create a self-sustaining economy that serves all.
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Public Palika: Democracy Distributed

Public Palika: Democracy Distributed
पब्लिक पालिका सिर्फ एक शासन मॉडल नहीं है—यह भविष्य के लिए एक दृष्टि है। एक ऐसा भविष्य, जहाँ लोकतंत्र वास्तव में भागीदारीपूर्ण है, जहाँ शासन डेटा-संचालित और पारदर्शी है, और जहाँ हर नागरिक का सीधा हाथ राष्ट्र के भविष्य को गठन करने में है।
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Video Chapter #4: स्व+राज (Self-Rule)

Video Chapter #4: स्व+राज (Self-Rule)

“स्वराज,” एक ऐसा शब्द है जो हमारी आज़ादी की लड़ाई के दौरान उभरा, लेकिन इसका अर्थ केवल राजनीतिक स्वतंत्रता तक सीमित नहीं है। संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है स्व और राज। स्व यानी स्वयं और राज यानी शासन। इस तरह, स्वराज का अर्थ हुआ—‘स्वयं का शासन’। “स्वराज” की कल्पना सबसे पहले लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की थी, जिन्होंने इसे हमारे जन्मसिद्ध अधि

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Video Chapter #3: ज्ञान+अर्थ+व्यवस्था (Knowledge Economy)

Video Chapter #3: ज्ञान+अर्थ+व्यवस्था (Knowledge Economy)

आदिकाल से अनंतकाल तक ज्ञान ही अर्थव्यवस्था को संचालित करता आया है, और करता ही जाएगा। क्या हर उत्पाद जो आज बाज़ार में उपलब्ध है, किसी ना किसी ज्ञान का व्यापार नहीं कर रहा है। खाद्य मंडी में खेती का ज्ञान बिकता है, तकनीक के बहुराष्ट्रीय मार्केट में ज्ञान नहीं तो और क्या बिक रहा है?

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Video Chapter #2: जीव + अर्थ + शास्त्र (जीवर्थशास्त्र)

Video Chapter #2: जीव + अर्थ + शास्त्र (जीवर्थशास्त्र)

चाहे वह आधुनिक लोकतंत्र हो, आदिवासी सभ्यता, या फिर ब्रिटिश राज—किसी भी सामाजिक या राजनैतिक व्यवस्था के सुचारू संचालन के पीछे एक समृद्ध अर्थशास्त्र की अनिवार्यता अटल है। हुमा इहलोक ही नहीं, स्वर्गलोक भी अर्थ की इस समस्या से विचलित है। वैदिक युग के पुरंदर, इंद्र! कलयुग में ना जाने कहाँ विलीन हो गए?

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