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The Essential Triad

The trinity of food, sex and danger is so important that a large part of the brain is devoted to this purpose. In the psychological domain, it is often referred to as the old brain, or reptilian brain as we share this portion with almost all the animal kingdom. Our animalistic instincts cannot afford to miss any opportunity of the possibility of either of these elements of the essential triad. Probably, this is also the reason that the economy of the advertisement industry revolves around it. To sell cosmetics to underwear, we use sex. The food industry is booming due to the sheer essentiality of food. When nothing works, the danger is the perfect recourse, building empires in the insurance sector. The triad never fails to make sales. Most successful commercials use these basic psychological and physiological needs in their favour.

सेक्स एजुकेशन

“अरे भाई! मुझे लगता है इस विषय पर अच्छा शोध हो सकता है। पीएचडी में दाख़िला लेने वाला हूँ। कोई अच्छा रिसर्च टॉपिक तो होना ना चाहिए। इससे अच्छा क्या हो सकता है कि मैं सेक्स एजुकेशन जो काफ़ी उपेक्षित विषय है, उसके दार्शनिक, सामाजिक और मानसिक पहलू पर शोध करूँ। जिस तरह से सेक्स-संबंधी समस्याएँ समाज में है, मुझे ज़रूरी लगता है की इस पर पहल की जाये। मेरा तो ये भी अनुमान है की कई राजनीतिक और सामाजिक समस्याएँ इसी कमी के कारण मौजूद हैं आज के समाज में। इसलिए लोगों की राय ले रहा था। पर सब लोग तो बिलकुल चुप हैं।”

सेक्स एजुकेशन की ज़रूरत

अगर ध्यान करना अपने अस्तित्व को चेतन रूप में निहारना है, तो संभोग का अपमान ठीक विपरीत प्रक्रिया है, जो उसके मूल उद्देश्य का विपरीतार्थक है। आज-तक मेरा अनुमान था की जिस सामाजिक यातना से हम हर रोज़ रूबरू होते हैं, उसकी जड़ें धार्मिक प्रवृति की हैं। इसलिए मैं धर्म से नफ़रत करता आया था। पर मेरे नये अनुभव और अद्ध्यन से मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा की अंदर से इन जड़ों में कामुकता या हवस का वास है। इंसान की कामुक अक्षमता ही हिंसा की जननी है - सोच और व्यवहार दोनों ही स्तरों पर। दार्शनिक भाषा में कहें तो वीर्य ऊर्जा के असंतुलन और असंतुलित प्रयाग से अशुभ की समस्या उत्पन्न होती है।