Destruction Vs Creation: Both Are Economical
Weekly Digest
Time, Truth, and Curiosity
Whatever I am writing today shall not be true tomorrow. History does not provide us the truth, nevertheless it gives us lessons we never learn from. Kant was not ahead of his time, he too got lost in time as light of wisdom like many others who lead the path of “curiosity“, the only entity that can justify reason as we’ll experience. It’s curiosity that needs care and cure, all the explanation, a burden on sentient soul. Sentient being are born out of curiosity and not just accident.
On the verge of WW III..😱🤯
लोग मर गए
शिक्षा, स्वराज और पब्लिक पालिका: एक नई सभ्यता की नींव
आज जब हम ग्लोबल विलेज की बात करते हैं, तो यह सोचने का समय है कि राष्ट्र और सीमाओं की परिभाषा पर पुनर्विचार किया जाए। यदि लोकल प्रशासन को सशक्त किया जाए और संसाधनों का नियंत्रण जनता के हाथ में हो, तो क्या यह नस्लीय, धार्मिक और राजनीतिक संघर्षों को कम नहीं करेगा? यदि पब्लिक पालिका मॉडल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाए, तो युद्ध, शरणार्थी संकट और आर्थिक शोषण जैसी समस्याओं को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। आखिर, युद्ध वे लड़ते हैं जिन्हें जनता के भविष्य से कोई सरोकार नहीं।
पब्लिक पालिका: व्यक्ति से विश्व तक
पब्लिक पालिका की कल्पना को जीवर्थशास्त्र और इहलोकतंत्र के बिना नहीं समझा जा सकता है। व्यक्ति की जरूरतों और व्यक्तित्व की समृद्धि के लिए जीवर्थशास्त्र में नौ आयामों की चर्चा मिलेगी, जिसे तीन खंडों में समझा जा सकता है — आवश्यक त्रय, अस्तित्वगत त्रय, और शाश्वत त्रय। आवश्यक त्रय में खाना, संभोग और खतरा शामिल है। अस्तित्वगत जरूरतों में शरीर, आत्मा और चेतना की बातें हैं, और शाश्वत त्रय में ईश्वर, सत्य और जीवन को जगह दी गई है। एक लोकहित कल्याणकारी राज्य की जिम्मेदारी बनती है कि उसके निवासियों की बुनियादी जरूरतों की आपूर्ति पर सक्रिय जवाबदेही निभायी जाए।
एक आर्थिक समाधान: पब्लिक पालिका
आज सुबह पहली मुलाक़ात रवीश कुमार से हुई। अरसा हो गया जब कोई तार्किक व्यवहारिक प्राणी मुझे व्यक्तिगत जीवन में मिला हो। खैर, रवीश जी रघुवीर सहाय के डायरी के पन्नों को पढ़कर हाल की में हुए दिल्ली चुनाव की व्याख्या करने की कोशिश कर रहे थे। सुनकर बहुत बुरा लगा कि १९६२ में हुए दिल्ली चुनाव में भी हम, भारत के लोगों को राजनीति वैसे ही हाँक रही थी, जैसे आज चरा रही है। थोड़ा आगे बढ़ा तो राहुल गांधीजी से मुलाकात हुई। वे ड्रोन लिए युद्ध की रणनीति समझते मिले। मुझे लगा आज जब ज्ञान विज्ञान इतना आगे बढ़ चुका है, तब भी लोक और तंत्र दोनों युद्ध के लिए इतना आतुर क्यों हैं?
पब्लिक पालिका का बजट
सूचना क्रांति आज एक नए मुकाम पर खड़ी है। ज्ञान अर्थव्यवस्था में सूचना ही नई मुद्रा है। कृत्रिम बुद्धि के उपयोग से हम हर विद्यार्थी के लिए एक अनूठा रास्ता तराश सकते हैं। अब स्कूलों में परीक्षाएं नहीं होंगी। ये सारी सामग्री हर विद्यार्थी को जनहित में उपलब्ध रहेगी। स्थानीय स्कूल को इंटरनेट से जोड़कर देश भर की पब्लिक पालिकाएँ यह सुविधा हर छात्र तक पहुंचाएगी। यहाँ हर कल, विज्ञान की विधा पर विशेषज्ञों के व्याख्यान अखीकृत तौर पर उपलब्ध होंगे। छात्र और शिक्षक मिलकर बेहतर सामग्री करने हेतु शोध और सृजन का रास्ता अपनायेंगे। इस उम्मीद के साथ इस बजट में कुछ और जरूरी संशोधन किए गए हैं। अब देश के नागरिक अपनी मांगों को पब्लिक पालिका को दे सकती है, और जहाँ आयकर एक ख़ास सीमा से ऊपर होगा, वहाँ से राज्य पालिका तक अर्थ के रास्ते खुलेंगे। अब नागरिक नहीं, स्थानीय सरकार ही कमाकर राज्य सरकार को पाल रही होगी। राज्य सरकार की जिम्मेदारी उन क्षेत्रों में संसाधनों की आपूर्ति करने की रहेगी जहाँ आय कम हैं। इस तरह अर्थ की आपूर्ति वहाँ भी होगी जहाँ अब तक बिजली नहीं पहुंची। इसी तरह मुद्रण का प्रवाह राज्य से अब केंद्र की ओर होगा, जहाँ से केंद्र उन राज्यों पर विशेष ध्यान देगा जहाँ अभाव का बोध होगा।
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